Thursday, September 23, 2010

ज़िन्दगी ....


ज़िंदगी के एक मोड़ पे मिला उनसे
मिल के ऐसा लगा ,मै जानू उन्हें कब से
साथ उनके सपने सजाता चला गया
दिल  में उन्हें बसाता चला गया 
उनके भरोसे था, दो चार कदम साथ न चल पाए
दिल में हमे वो क्या रखते,दोस्ती भी ना निभा पाए
आखिर कब तक सजाता उन सपनों  को 
अब  तो  बस  उनकी  यादें  थी  साथ
जिन्हें  मै  धुएं  में  उडाता  चला  गया 
ज़िन्दगी  बिताता  चला  गया  ........

1 comments:

KinZu said...

lovelyyyyyyy.....but me chahata hn ki aap kuch motivational poems bhi likha karein....

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