Saturday, December 31, 2011

लहरें.... ये ज़िन्दगी

लहरें.... ये ज़िन्दगी
ढूंढे अपना साहिल
कोई किनारा..... अपनी मंजिल 
कभी चढ़ती,तो कभी उतरती लहरें....
ये ज़िन्दगी ....बेख़ौफ़ ,बेपरवाह तोड़े सारे पहरे
क्या ज़िन्दगी है, इन मौजों की
मिलेगा साहिल,या मिल जाएँगी भंवर में
क्या ठिकाना ...किसको है पता ये ज़िन्दगी
ले जायेगी कहाँ.....क्या दिखाएंगी लहरें.... ये ज़िन्दगी
उन्मादी  तरंगे,टकरा कर साहिल से
बहा ले जाए रेतीले सपनें 
जाने कैसे कब मिलें,बने,बिछड़े अपने
हर बार इक नई उमंग
से उठतीं ये तरंग
पर मंजिल वही किनारा है 
इठलाती ,बलखाती  दूर चलती जाती
उछलती ,उफनती कहती यही जीवन धारा है
गिर के उठना सिखातीं लहरें.... ये ज़िन्दगी....







Thursday, December 8, 2011

आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ.....



चाहा है तुम्हे ,था तुमसे प्यार 
पर ना किया कभी इज़हार  
मुझे लगा शायद तुम सब समझते हो 
लेकिन तुम कभी ना थे इतने समझदार 
या फिर सब जानते हुए  भी बनते रहे अनजान 
आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ ........

 


सोचता हूँ काश एक बार क़ह देता 
कर देता इज़हार 
पर जाने किस अनहोनी से डरता था 
शायद डर था उस दोस्त को खोने का 
जो मिला था  ढूढने में प्यार 
पर अब तो ना वो दोस्त है ना वो प्यार 
क्या फर्क पड़ जाता
की  जो आज खोया  है कल मिला ना होता
आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ....




 शायद मै गलत था , मैंने गलती करी
तुममें  एक दोस्त खोजने  लगा था 
"दोस्त"जो तुम्हारे शब्दकोष में अपरिभाषित है ,अर्थहीन था 
और आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ ..... 
 
सोचता हूँ मैंने क्या है हारा
 मन तो कहता है , मैंने कुछ  नहीं है हारा
पर ये दिल है की सुनता ही नहीं 
मै तो समझ  गया ,पर इस दिल को कौन समझाए 
और अब बिन तेरे कैसे जिया जाए 
आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ .............





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