Saturday, December 31, 2011

लहरें.... ये ज़िन्दगी

लहरें.... ये ज़िन्दगी
ढूंढे अपना साहिल
कोई किनारा..... अपनी मंजिल 
कभी चढ़ती,तो कभी उतरती लहरें....
ये ज़िन्दगी ....बेख़ौफ़ ,बेपरवाह तोड़े सारे पहरे
क्या ज़िन्दगी है, इन मौजों की
मिलेगा साहिल,या मिल जाएँगी भंवर में
क्या ठिकाना ...किसको है पता ये ज़िन्दगी
ले जायेगी कहाँ.....क्या दिखाएंगी लहरें.... ये ज़िन्दगी
उन्मादी  तरंगे,टकरा कर साहिल से
बहा ले जाए रेतीले सपनें 
जाने कैसे कब मिलें,बने,बिछड़े अपने
हर बार इक नई उमंग
से उठतीं ये तरंग
पर मंजिल वही किनारा है 
इठलाती ,बलखाती  दूर चलती जाती
उछलती ,उफनती कहती यही जीवन धारा है
गिर के उठना सिखातीं लहरें.... ये ज़िन्दगी....







4 comments:

ANIRUDH NAGAR said...

bhai ye tune likhi h,......tu to poet nikla ......bht mast h yr...hats of 2 u buddy

manish said...

yea..maine hi likhi hai ...nd thnxx yaar ..:)

KinZu said...

awsm dear......

manish said...

thnxx bro ...:))

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