Thursday, December 8, 2011

आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ.....



चाहा है तुम्हे ,था तुमसे प्यार 
पर ना किया कभी इज़हार  
मुझे लगा शायद तुम सब समझते हो 
लेकिन तुम कभी ना थे इतने समझदार 
या फिर सब जानते हुए  भी बनते रहे अनजान 
आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ ........

 


सोचता हूँ काश एक बार क़ह देता 
कर देता इज़हार 
पर जाने किस अनहोनी से डरता था 
शायद डर था उस दोस्त को खोने का 
जो मिला था  ढूढने में प्यार 
पर अब तो ना वो दोस्त है ना वो प्यार 
क्या फर्क पड़ जाता
की  जो आज खोया  है कल मिला ना होता
आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ....




 शायद मै गलत था , मैंने गलती करी
तुममें  एक दोस्त खोजने  लगा था 
"दोस्त"जो तुम्हारे शब्दकोष में अपरिभाषित है ,अर्थहीन था 
और आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ ..... 
 
सोचता हूँ मैंने क्या है हारा
 मन तो कहता है , मैंने कुछ  नहीं है हारा
पर ये दिल है की सुनता ही नहीं 
मै तो समझ  गया ,पर इस दिल को कौन समझाए 
और अब बिन तेरे कैसे जिया जाए 
आज जब तुम नहीं हो तो सोचता हूँ .............





1 comments:

kkrai1234 said...

msttt hai bhaiii msttt ultimate....

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