क्यों आती है, आके रूला जाती है तू
बिछड़ने के ग़म को और बढ़ा जाती है तू
अभी दर्द क्या कम है,
जो जख्मो को फिर से हरा कर जाती है तू
तू क्यों आती है ....
दिल के नाज़ुक कोनो को छू जाती है ,
बीते पलों को पलकों के सामने लाती है...
कभी कर लेते हैं उनसे बात
और अक्सर ख्वाबों में होती है उनसे मुलाक़ात
मगर मुलाक़ात और बात अधूरी रह जाती है .
तू क्यों आती है ....
होता था ज़ुबा पे हर वक़्त उनका नाम
बितती थी साथ उनके हर सुहानी शाम
तमन्ना थी साथ उनके पीने की जाम,
मगर हर तमन्ना कहाँ पूरी हो पाती है .
तू क्यों आती है ....
ढूढ़ रहा हूँ मैं इसका उत्तर कब से,
पूछ रहा हूँ मै रब से
तू क्यों आती है ....???
बिछड़ने के ग़म को और बढ़ा जाती है तू
अभी दर्द क्या कम है,
जो जख्मो को फिर से हरा कर जाती है तू
तू क्यों आती है ....
दिल के नाज़ुक कोनो को छू जाती है ,
बीते पलों को पलकों के सामने लाती है...
कभी कर लेते हैं उनसे बात
और अक्सर ख्वाबों में होती है उनसे मुलाक़ात
मगर मुलाक़ात और बात अधूरी रह जाती है .
तू क्यों आती है ....
होता था ज़ुबा पे हर वक़्त उनका नाम
बितती थी साथ उनके हर सुहानी शाम
तमन्ना थी साथ उनके पीने की जाम,
मगर हर तमन्ना कहाँ पूरी हो पाती है .
तू क्यों आती है ....
ढूढ़ रहा हूँ मैं इसका उत्तर कब से,
पूछ रहा हूँ मै रब से
तू क्यों आती है ....???
9 comments:
Our school back-bench poetry is paying off! But I expect more than this from you.. Wish to see a lot of poetry setting its way.. About each and every basic area. No doubt about your innovation.. You paint things very well!!
sirji very good yar....m ye to ni bata rha ki kyu aati h par ek baar aisa aayegi ki phir hamesha tere saath hi rahegi...bhut bhut achhi likhi h yar...yadav sir faaadu yr sachii...
ab likhna shuru kiya h to band mat karna.
@alok:yaar ye jo aati hai wo "YAAd" hai .
likhna shuru nhi band kr diya hai .. bt now thinking to start.this one i had written in april,08.
hey dear.... very good sachi me...
mujhe thrd stanza bahut pyara laga..
and i expect more from u ..goood
yadav to sachi me fffaad h ,...."samjhe"
@rishabh: yeah of course ..dat were our golden days ..sitting behind nd ....
lets see how far this goes ..
@manish nice portrayal of feelings...keep going buddy
haan offcourse that i knw ki wo YAAD h jo aati h...yaad tbhi to aati jb wo tere paas ni hoti...ek baar paas aa jaayegi to phir kaisi YAAD
aussmmmmmmmmm dude...
wat the great lines.. m impressed...
u r such a gud poet...
luv u....
thnx all of u 4 ur support....
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